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केंद्र बिना नीलामी करना चाहता था स्पेक्ट्रम का आवंटन, सुप्रीम कोर्ट का इनकार

 02 May 2024

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की बिना नीलामी  2G स्पेक्ट्रम आवंटन की  माँग करने वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया है । केंद्र चर्चित 2G घोटाले  में आये सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर कुछ स्पष्टीकरण चाहता था। सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने कहा कि याचिका को स्वीकार करना फ़ैसले पर पुनर्विचार करने जैसा होगा।


याचिका क्यों

 दरअसल, याचिका के माध्यम से केंद्र सरकार साल 2012 में 2G घोटाले से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कुछ स्पष्टीकरण चाहती थी ताकि सरकार स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर क़ानूनी समीक्षा कर सके। 2G स्पेक्ट्रम पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद से  स्पेक्ट्रम आवंटन पारदर्शी तरीके और सार्वजानिक रूप से किया जाता है। लेकिन मौजूदा केंद्र  सरकार कुछ स्पेक्ट्रमों का आवंटन बिना नीलामी के करना चाहती थी।

केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि जिन स्पेक्ट्रमों को ग़ैर-व्यावसायिक कारणों या लोकहित में आवंटित किये जाने की ज़रूरत है,  उसे सरकार को बिना नीलामी आवंटित करने दिया जाये। सरकार का कहना था कि स्पेक्ट्रम न केवल वाणिज्यक दूरसंचार के लिए बल्कि  सुरक्षा और आपदा जैसी स्थिति से निपटने के लिए भी आवश्यक है। लेकिन 2G स्पेक्ट्रम पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश सरकार की इस इच्छा में सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है।



क्या है 2G स्पेक्ट्रम


2G का अर्थ नेटवर्क तकनीक की जनरेशन से है, जैसे 3G, 4G और हाल ही में आया 5G। वायु तरंग नेटवर्क तकनीक का इस्तेमाल हम कई तरीके से करते हैं, चाहे इंटरनेट हो या फ़िर रेडियो सुनना । ‘स्पेक्ट्रम’ शब्द का इस्तेमाल 2G तकनीक को अलग-अलग क्षेत्रों में उपयोग किये जाने के तरीकों के सम्बन्ध में किया जाता है। उदाहरण के तौर पर सरकार जब 2G स्पेक्ट्रम की नीलामी करती है तो 2G सेवाओं को खरीदने के लिए सिर्फ़ मोबाइल कंपनी नहीं बल्कि वो क्षेत्र भी शामिल होंगे जो नेटवर्क तकनीक का इस्तेमाल किसी न किसी रूप में करते हैं।


सुप्रीम कोर्ट का 2G घोटाले पर क्या फ़ैसला था…  


2G घोटाले पर  सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि स्पेक्ट्रम जैसे प्राकृतिक संसाधन बहुत दुर्लभ हैं, उसका आवंटन निजी कंपनियों को सिर्फ़ सार्वजानिक तौर पर पारदर्शी तरीके से किया जा सकता है। जिसके बाद तत्कालीन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को क़ानून बना दिया था। कोर्ट अपने आदेश के माध्यम से यह सुनिश्चित करना चाहता था कि नीलामी के माध्यम से सभी लोगों को समान अवसर मिल सके।जबकि पहले स्पेक्ट्रम आवंटन ‘पहले आओ, पहले पाओ’ आधार पर  किया जाता था, जिसमें पारदर्शिता को लेकर भी कई सवाल उठे थे।


क्या रजिस्ट्रार किसी याचिका को खारिज़ कर सकता है?


नियम के अनुसार सुप्रीम कोर्ट का रजिस्ट्रार किसी भी याचिका को नामंजूर कर सकता है, यदि रजिस्ट्रार को लगता है कि किसी याचिका में सुनवाई करने का कोई उचित कारण नहीं है, या याचिका में निंदनीय मामलों को शामिल किया गया है। लेकिन सरकार चाहे तो 15 दिनों में अपनी याचिका को फिर दायर कर सकती है।